काँटों से घिरा रहता है, फिर भी गुलाब खिला, रहता है | Happy Rose Day
होठों जैसे पंखुड़ियाँ मेरी, कोमल काँटों से बच के ज़रा, कहीं हो न जाओ घायल | Happy Rose Day
काँटो में भी फूल खिलाएं इस धरती को स्वर्ग बनाएं आओ, सबको गले लगाएं हम गणतंत्र का पर्व मनाएं, गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं |
काँटो से नाराजगी कैसी जब प्यार गुलाब से है | रोज़ डे मुबारक हो…